श्रीराम मित्र मण्डल रामलीला में केकई हठ, श्रीराम का त्याग व वनवास और केवट की श्रद्धा का मंचन

चेतना प्रकाश संवाददाता
नोएडा। श्रीराम मित्र मण्डल रामलीला समिति द्वारा सेक्टर-62 के रामलीला मैदान में आयोजित श्रीरामलीला मंचन के छठे दिन मुख्य अतिथि मदन चौहान पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश, नैवेद्य शर्मा, उपदेश भारद्वाज, विजय गर्ग, संजय जैन, महावीर गोयल, कपिल लखोटिया, निरंजन अग्रवाल, राजीव मंगल, ध्रुव अग्रवाल, यश गुप्ता, चौधरी रवींद्र सिंह, राकेश कुमार, संजय चौहान, योगेश शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर रामलीला का शुभारंभ किया गया। समिति के चेयरमैन उमाशंकर गर्ग, अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं महासचिव डॉ. मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा मुख्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर और अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया गया।

रामलीला मंचन में उधर देवता सोचते हैं कि अगर राम को वनवास नहीं होता हैं तो निशाचरों का नाश कैसे होगा  इसके लिए उन्होंने सरस्वती जी से प्रार्थना की और सरस्वती कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि  फेर देती हैं। मंथरा कैकेयी को समझाती हैं कि इस राजतिलक में सिर्फ राम का भला है। भरत को कुछ नहीं मिलेगा।

कैकेयी कोप भवन में चली जाती हैं और जब राजा दशरथ कैकेयी से कोप भवन में जाने का कारण पूछते हैं तो वह राजा को पहले दिये गये उनके वचन को याद दिलाती है कि समय आने पर दो वरदान मांग लेना, मैं पहला वरदान भरत को राज व दूसरा रामको 14 वर्ष का वनवास मांगती हूँ। राजा के समझाने के बावजूद कैकेयी नहीं मानती तो यह सुनकर दशरथ है राम! है राम! कहते हुए मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ते हैं।

भगवान राम मंत्री सुमंत, लक्ष्मण व सीता को रथ पर बिठाकर नगर के बाहर ले जाते हैं श्रृंगवेरपुर पहुंचने पर गंगा जी में स्नान करते हैं। राम आगमन सुनकर निषादराज गुहा भगवान राम की आव भगत करता है और इस के बाद सुमंत जी अयोध्या वापस लौट आते हैं। राजा दशरथ  राम के वियोग में अपने प्राण त्याग देते हैं। भगवान राम सीता लक्ष्मण के साथ गंगा तट पर पहुँचते हैं जहाँ पर भक्त केवट और भगवान का सुंदर संवाद होता है। भगवान राम गंगा तट पर पहुंचकर केवट से नाव मांगते हैं‘‘मागी नावन केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना’’। लेकिन केवट नाव नहीं लाता है और कहता है कि प्रभु में आपके मर्म को जानता हूँ जिस तरह आपके चरण रज का स्पर्श पाते ही पत्थर की शिला सुन्दर नारी बन गई अगर मेरी नाव भी स्त्री बन गई तो मेरी रोजी रोटी चली जायेगी। यदि आपको गंगा के पार उतरना है तो मुझे अपने पैर धोने दे प्रभु। भगवन मुझे गंगा पर उतरने की कोई कीमत नहीं चाहिए। प्रभु आप भी मल्लाह ही हैं आप भवसागर के पार उतारते हैं और मैं गंगा के पार। मैं आपको गंगा के पार उतार देता हूँ, प्रभु मुझे भवसागर के पार उतार देना। यह कहकर वह प्रभु के चरण धोने लगता है । चरण धोने के बाद अपने परिवार सहित चरणोदक को पीकर भगवान राम को सीता व लक्ष्मण सहित गंगा के पार उतार देता है।

अध्यक्ष धर्मपाल गोयल ने बताया कि 28 सितंबर को भरत-कैकई संवाद, राम-भरत मिलाप, सुपर्णखा प्रसंग, खरदूषण वध आदि प्रसंगों का मंचन किया जायेगा।

इस अवसर पर समिति के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सलाहकार मनोज शर्मा, सह-कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतनारायण गोयल, राजकुमार गर्ग, तरुणराज, पवन गोयल, बजरंग लाल गुप्ता, एस एम गुप्ता, मुकेश गोयल, मुकेश अग्रवाल, मनोज शर्मा, मीडिया प्रभारी मुकेश गुप्ता, गिरिराज बहेडिया, चक्रपाणि गोयल, नवीन पोरवाल, राजेश माथुर, अर्जुन अरोड़ा, आर के उप्रेती, मनीष गोयल, दीपक अग्रवाल, दयाशंकर तिवारी, बाबूराम शर्मा सहित श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के सदस्यगण व शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *