अपने घर से दूर सड़क पर गौमाता नंदी -मनीष गुप्ता

चेतना प्रकाश संवाददाता

गायें गौवश हिंदू सनातन धर्म में गाय को गौमाता कहते है। धर्म शास्त्रों में लिखा है। कि गाय के शरीर मे 33 करोड़ देवी देवता निवास करते हैं। गाय पूज्यनीय है, शहरों में वहां कॉलोनियां बनकर मकान विकसित हो गए। दूसरी ओर जंगल कट कट कर वीरान हो गए ओर गोचर भूमि ख़तम हो गई या तो उस पर कब्जे हो गए। अब जानवरों के लिए एक मुठी भर चारा मिलना नसीब का खेल हो गया है। चारे पानी के खर्चे से बचने अधिकतर पशुपालकों ने अनोखा उपाय सोचा है कि अपने जानवरों को सड़कों पर खुला छोड़ दो। मवेशी कहीं से भी अपना पेट भर लेंगे, तथा उनका चारे पानी का खर्च बचेगा। जिसके चलते गौवश अब पेट भरने के लिए शहर और गांवों में घूमने लगे हैं। जबकि अब से कुछ साल पहले तक अधिकतर लोग गौवंश पालते थे। इनमें सर्वाधिक संख्या गौवंशी पशुओं की है। लोग अपने गौवंश को बांधकर रखते थे। आज वही सड़कों पर खुले घूमते रहते हैं। सवाल है आखिरकार ये मूक गौवंश जाएं तो जाएं कहां। इस समय गौतमबुद्ध नगर जिले की भी हर सड़क हर गली माहौले में गौवंश का जमावड़ा लगा रहता है। जिसके चलते दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ने लगी है, छोटी सड़क हर जगह बीच सड़क पर घूमने वाले गौवंश या खुले नाले नालियों मे गिर जाते है अब सभी परेशान है | जिस पर शासन प्रशासन का ध्यान दे। जिसके चलते आम जनता परेशान है । लोगों का कहना है अब जरूरत है शासन प्रशासन इन गौवंश के बारे में सोचे, नही तो रखरखाव के अभाव में धीरे धीरे यह प्रजातियां भी विलुप्त न हो जाएं। लोग गौवंश को घरों में पालना बंद कर रहे हैं। बड़ी संख्या में गौ शालाएं तो है और गौवश सड़कों पर बेसहारा भटक रहे हैं। जो आए दिन हादसों की वजह बन रहे हैें और खुद भी हादसों में चोटिल एवं मारे जा रहे हैं। गौ-वंशीय की ऐसी दुर्दशा पर जिम्मेदार मौन क्यों हैं, वहीं कुछ गौ-सेवक अपनी मजबूरियां गिनाकर जिम्मेदारी से बच रहे हैं|(मनीष गुप्ता समाजसेवी )9958200065

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *